Saturday, December 11, 2010

ज़रा बच के! सपनों में भी उनकी नज़र है :)

कल सबेरे से ही श्रीमति जी का मिजाज कुछ गर्म सा लग रहा था। बात बात पे उन्हें गुस्सा और हमें उनके गुस्से पर प्यार आ रहा था।
खैर व्यस्तता ज्यादा होने की वज़ह से हम उन्हें समय नहीं दे पाए और चले गए अपने ससुराल (आदरणीय ससुर जी का मकान जो बन रहा है थोड़ा देखना पड़ता है ) और वह भी बेगम को लिए बिना!
पारा धीरे धीरे चढ़ता ही जा रहा था हमें कुछ समझ में नहीं आ रहा था कुछ भी नहीं :(
अब रात में माहौल कुछ शांत होने लगा।
उफ़! पर ये क्या आज सबेरे से हमारी प्यारी बेगम हमसे फिर रूठ गई हैं और हमें अकेला छोड़ कर छत पर मोर्निंग वॉक कर रही हैं, थोड़ा जाकर पूछ ही लिया जाये :)
"क्यों बेगम क्या हुआ? आज आप थोड़ा खफा खफा लग रही हैं..."
उनकी तीखी नज़र जो हम पर पड़ी तो हम सर से पाँव तक सिहर उठे। उस बकरे का दर्द समझ आ रहा था जो शेरनी का निवाला बनने जा रहा हो :(
अगला प्रश्न उनकी और से ज़रा गौर फ़रमाइए....

"आज सुबह सुबह सपने में क्यों हँस रहे थे?"

जवाब है किसी के पास? :/